भोजपुरी अभिनेता प्रकाश जैस ने अपनी एक्टिंग के जरिए लोगों से तालियां बटोरी हैं. हालांकि, बेहतर अभिनय के लिए उन्होंने लंबे समय तक प्रशिक्षण लिया और रंगमंच करते हुए इसकी बारीकियां सीखी. नए कलाकारों से कहा कि बेहतर अभिनेता बनने के लिए थिएटर से जुड़ना जरूरी है. सिर्फ सिंगिंग करके आप सुपरस्टार नहीं बन सकते हैं.
Video: भोजपुरी सिनेमा के मशहूर अभिनेता प्रकाश जैस (Prakash Jais) हाल ही में अपनी फिल्म ‘पति का प्यार, सास का दुलार’ की शूटिंग के लिए बिहार पहुंचे. इस दौरान उन्होंने startupVichar से खास बातचीत की और अभिनय के प्रति अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया कि भोजपुरी इंडस्ट्री (Bhojpuri Industry) में अभिनय में सफलता पाने के लिए सही ट्रेनिंग और थिएटर से जुड़ना बेहद जरूरी है. इसके अलावा, अपने करियर और पर्सनल अनुभवों को भी उजागर किया, जिसमें सिंगिंग और अभिनय के बीच का अंतर, थिएटर का महत्व और अपने पसंदीदा किरदारों का जिक्र किया.
अभिनय में सफलता के लिए थिएटर से जुड़ना जरूरी
प्रकाश जैस ने बातचीत में कहा कि भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) में कई अभिनेता सिंगिंग से पॉपुलर हुए और बाद में एक्टिंग में आए. लेकिन उनके मुताबिक, केवल गाने का अच्छा आना किसी अभिनेता को अच्छा एक्टर नहीं बना सकता. उन्होंने इस बारे में बताया कि अगर आप एक्टिंग में सफलता चाहते हैं, तो आपको थिएटर से जुड़ना चाहिए. थिएटर (Theatre) से जुड़े रहने पर सही गाइडलाइन और मार्गदर्शन मिलता है. उन्होंने (Dinesh Lal Yadav) दिनेश लाल यादव, (Pawan Singh) पवन सिंह और (Khesari Lal Yadav) खेसारी लाल यादव का उदाहरण दिया और कहा कि वे पहले सिंगिंग से पॉपुलर हुए और बाद में एक्टिंग में भी सफलता हासिल की. कहा इन कलाकारों ने एक्टिंग को जल्दी समझा और इसके लिए कड़ी मेहनत की, यही कारण है कि आज वे भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार हैं. उनका कहना था कि अगर सिर्फ गाने से ही लोग अच्छे अभिनेता बन जाते, तो हमारी इंडस्ट्री में कई सारे हीरो होते.
बचपन से था सिनेमा की ओर आकर्षण
प्रकाश जैस ने यह भी बताया कि बचपन में उन्हें फिल्मों से काफी लगाव था. वह अक्सर स्कूल से भागकर सिनेमा देखने जाते थे, और पर्दे पर फिल्में देखना उनके लिए जादू जैसा लगता था. यह जादू ही था, जो उन्हें सिनेमा और अभिनय की ओर खींच लाया. उन्होंने कहा कि पटना में संजय उपाध्याय मेरे पहले गुरु बने, और उनके निर्देशन में मैंने थिएटर करना शुरू किया. फिर एक साल के लिए भोपाल चला गया, जहां बंसी कॉल के निर्देशन में रंगमंच पर काम किया. इसके बाद मैंने मुंबई में भी थिएटर से जुड़ने का मौका पाया और वहां मकरंद देशपांडे, आमिर राजा हुसैन और फिरोज खान जैसे बड़े निर्देशकों के साथ काम किया.
पसंदीदा किरदारों और अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में क्या कहा?
अपनी कुछ पसंदीदा फिल्मों का जिक्र किया, जिनमें उनका किरदार दर्शकों के बीच खासा चर्चित हुआ. उन्होंने कहा कि राजा बाबू में मेरा ‘लकी’ का किरदार बहुत ही पॉपुलर हुआ. इसके अलावा ‘बम बम बोल रहा है काशी’, ‘पटना से पाकिस्तान’ और ‘निरहुआ रिक्शावाला 2’ में भी मेरे किरदार को खूब सराहा गया. उनका कहना था कि वह हमेशा अपनी फिल्मों में कुछ नया करने की कोशिश करते हैं, और दर्शकों के दिलों में अपनी छाप छोड़ने के लिए मेहनत करते रहते हैं. जल्द ही वह पवन सिंह के साथ ‘पावर स्टार’, खेसारी लाल यादव के साथ ‘420’ और दिनेश लाल यादव के साथ ‘चीख’ जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में नजर आएंगे.
जमीन से जुड़े होते हैं यूपी-बिहार के कलाकार
प्रकाश ने पटना के प्रति अपनी गहरी भावनाओं का भी इजहार किया. उन्होंने कहा कि पटना से जुड़ी मेरी कई यादें हैं, और मैं इस शहर को बहुत मिस करता हूं. अगर मुझे कभी छुट्टी मिले, तो मैं जरूर पटना की गलियों में घूमने जाऊं और प्रेमचंद रंगशाला (Premchand Rangshala) जाकर वहां के लोगों से मिलूं. इसके बाद कलाकारों के बारे में कहा कि यूपी और बिहार के सभी कलाकार अपनी जमीन से जुड़े रहते हैं और उनके भीतर एक देसीपन है, जो उन्हें आम लोगों से जोड़े रखता है.